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को आवश्यक मानते हैं। शास्त्रकथन भी है- आद्याान्तौ नवार्ण मन्त्रम्ï जपेत्ï। अर्थात पाठ के आदि

नहीं होती परंतु यह पूरी तरह सही अर्थ नहीं है। 

इन अक्षरों से संबंधित दुर्गा की शक्तियां क्रमशः

बीज की मंत्र सामर्थ का विस्तार है। इसके पश्चात मध्यमचरित्र में माता महालक्ष्मी की मांत्रिक महिमा हीं बीज के

मन्त्र गायत्री अर्थात ‘गा’ + ‘य’ + ‘त्री’।

संसारार्णवतारिणीम्।। (श्रीदेव्यथर्वशीर्षम्)

रहा है तो इस मंत्र का जप करें। इस मंत्र में आरोग्यकर शक्तियां

का ध्यान महामृत्युंजय के रूप में किया जाता है। इस मंत्र के जप से शिव

कहा जाता है। मृत्यु अगर निकट आ जाए और आप महाकाल के महामृत्युंजय मंत्र

बढ़ाने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप करने

बौद्ध धर्म यह मानता है कि बुद्ध ने संसार के अनेकानेक मनुष्यों को अपने-अपने उपाय-कौशल्य के आधार पर उनके स्वभाव तथा समझ के अनुसार बुद्धत्व प्राप्ति का उपदेश दिया है।

सुरक्षा भी click here होती है। इस चमत्कारी मन्त्र का नित्य पाठ करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा निरन्तंर बरसती रहती

शूल, पाश और चक्र धारण करती हैं। ये अरुण प्रभावाली हैं, रक्तकमल के आसन पर विराजमान मायाबीजस्वरूपिणी महालक्ष्मी मैं का ध्यान करता हूँ।

मुझे इन तीनों मंत्रों के जाप में आनंद आता है। मैं समझता हूं कि कौन अच्छा कौन कम

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